
1. भगवान पशुपतिनाथ जी के मन्दिर पूरे विश्व में कितनी जगत स्थित है ?
वैसे तो शिव मंदिर पूरे विश्व में देखने को मिल सकते है , परन्तु आज हम ऐसे शिव मंदिर की बात करने जा रहे है जो प्राचीन समय में पूरे विश्व में सिर्फ 3 स्थानों पर ही स्थित हैं। इनमे से एक मंदिर नेपाल के काठमांडू में, दूसरा मध्यप्रदेश में स्थित मंदसौर नगर में , तीसरा मंदिर मध्यप्रदेश ब्यावरा के निकट 15 किलोमीटर की दूरी में घुरेल की पहाड़ियों पर स्थित है !
सन् 2000 में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री माननीय वसुंधरा राजे सिंधिया ने झालावाड़ के झालरापाटन शहर में ऐसे ही एक पशुपति नाथ मंदिर की स्थापना की जिसकी अखंड ज्योत मंदसौर के पशुपति नाथ मंदिर से लाई गई थी।
यह शिव मंदिर अपने आप में बहुत ही अनूठे है।

अब हम बात करते है इनमे से ही एक सुप्रसिद्ध मंदिर की जो घुरेल की पहाड़ियों पर स्थित है।
घुरेल की पहाड़ियों पर जो शिवलिंग है उसका पत्थर नीदरलैंड से आया था उसी पत्थर से इस शिवलिंग का निर्माण किया गया तथा यहां मंदिर बनाकर स्थापित किया गया।
घुरेल , ब्यावरा और सुठालिया नगर के मध्य में स्थित है। यह मन्दिर ब्यावरा से 15km की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1982 में किया गया था। इसमें भगवान पशुपति नाथ की अष्टमुखी और 7 फीट लंबी मूर्ति की स्थापना की गई थी। जब इस मंदिर का निर्माण किया गया था तब मंदिर निर्माण के सचिव श्रीमान ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद जी त्रिपाठी( आचार्य पंडित धीरेन्द्र त्रिपाठी के दादाजी तथा एक सटीकता की लहर वाले सुप्रसिद्द ज्योतिषाचार्य है ) को बनाया गया तथा उनकी की देखरेख में इस मंदिर का निर्माण हुआ।
इस मंदिर के पास ही एक गुफा है। यह गुफा अपने आप में विचित्र है। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि मोटे से मोटा आदमी भी इस गुफा में प्रवेश कर सकता है। लेकिन इस गुफा में वही प्रवेश कर सकता है जो एक ही पिता की संतान हो। कहने का मतलब यह है कि जिसकी माता का अपने पति के अलावा दूसरे के साथ संबंध थे और उसी सम्बन्ध की वजह से पुत्र का जन्म हुआ है तो वह पुत्र इस गुफा में प्रवेश नहीं कर सकता है। यही इस गुफा की खासियत है।
घुरेल में स्थित पशुपति नाथ मन्दिर में प्रतिवर्ष सावन सोमवार को लोगो की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में मकर संक्रांति पर मेले का आयोजन किया जाता है।
कई वर्षों से प्रत्येक वर्ष हरियाली अमावस्या पर यहां कावड़ यात्रा निकाली जा रही है। जिसमे श्रद्धालु भक्तगण बढ़ चढ़ कर भाग लेते है। सबसे पहले श्रद्धालु गण सुठालिया नगर स्थित शिव मंदिर पर रात को विश्राम करते है फिर सुबह 5 बजे घोघरा घाट स्थित पार्वती नदी में स्नान कर अपने अपने कावड़ में पानी भरते है। इसके बाद यहां से कावड़िए बाबा भोलेनाथ की जय बोलकर प्रस्थान करते है। बाबा भोलेनाथ के जयकारों के साथ नगर के प्रमुख मार्गो “परलापुरा राम मंदिर, सदर बाजार शिव मंदिर शामिल है” से होते हुए ब्यावरा रोड से होकर 16km चलकर घुरेल मंदिर में प्रवेश करते है। यहां सबसे पहले कावड़िए में उपस्थित जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। उसके बाद भगवान शिव का विधिवत पूजन कर प्रसाद का भोग लगाया जाता है। इसके बाद प्रसाद लेकर श्रद्धालुगण अपने अपने घरों को प्रस्थान करते है।
आप भी इस पावन पवित्र भूमि घुरेल पशुपतिनाथ मंदिर पर आकर अपने पापो को नष्ट कर पुण्य के भागी बने !
घुरेल का पता – पशुपतिनाथ मंदिर , घुरेल , गिंदोरहाट , ब्यावरा , मध्यप्रदेश , भारत 465677
तथा भगवान पशुपतिनाथ जी की आप के ऊप्पर कृपा बनी रहे !