भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते हैं। पाणिनि ने वर्णमाला को 14 सूत्रों में प्रस्तुत किया है।
परंपरा के अनुसार महेश्वर ने अपने नृत्य की समाप्ति पर जो 14 बार डमरू बजाया, उससे ये 14 (ध्वनियाँ) सूत्र पाणिनि को प्राप्त हुए—
- नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम् । उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद् विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥
ये सूत्र इस प्रकार हैं-
1. अइउण् (अ, इ, उ)
2. ऋलृक् (ऋ, लृ)
3. एओङ् (ए, ओ)
4. ऐऔच (ऐ, औ)
5. हयवरट् (ह्, य्, व्, र्)
6. लण् (ल्)
7: ञमङणनम् (ञ, मू, ङ्, ण्, न्)
8. झभञ् (झ्, भ्)
9. घढधष् (घ्, ढ्, धू)
10. जबगडद (ज्, ब्, ग्, ड्, द)
11. खफछठथचटतव् (ख्, फ्, छ्, ठ्, थ्, च्, टू, त्)
12. कपय् (क्, प्)
13. शषसर् (श्, ष्, स्)
14. हल् (ह्)
- दशरूपक के अनुसार — नृत्त और नृत्य में भेद होता है। नृत्त भाव पर आश्रित होता है, जबकि नृत्य ताल एवं लय पर आश्रित होता है।